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26 लाख का पैकेज छोड़, महंत सत्यानंद ने चुनी समाज सेवा की राह: बिहार के सत्यानंद ने छोड़ दी विदेशी करियर की चमक, बन गए उज्जैन के बड़ा उदासीन अखाड़े के महंत!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
आज की पीढ़ी जहां ऊँची सैलरी और चमक-धमक वाली लाइफस्टाइल के पीछे भाग रही है, वहीं उज्जैन के बड़ा उदासीन अखाड़े के युवा महंत सत्यानंद ने जिंदगी की एक अलग ही राह चुनी। उन्हें ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी से सालाना 26 लाख रुपए का पैकेज मिला था, लेकिन उन्होंने यह मोहक ऑफर ठुकराकर अध्यात्म और समाज सेवा की राह अपना ली।
बिहार के सुपौल जिले में जन्मे 27 वर्षीय सत्यानंद बचपन से ही पढ़ाई में तेज और योग-अध्यात्म के प्रति गहरी रुचि रखने वाले थे। आठवीं तक की पढ़ाई सुपौल के नामी आरएसएम पब्लिक स्कूल से करने के बाद उनका झुकाव आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ा। उन्होंने उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार से राजनीति शास्त्र में स्नातक किया और फिर योग में एमए की डिग्री हासिल की।
पढ़ाई के दौरान ही सत्यानंद को ऑस्ट्रेलिया से योग प्रशिक्षक के रूप में आकर्षक ऑफर मिला। करीब ढाई लाख रुपए मासिक सैलरी और विदेश में करियर बनाने का मौका किसी के लिए भी सपना होता। वियतनाम से भी उन्हें प्रस्ताव मिला, लेकिन सत्यानंद ने सांसारिक मोह छोड़कर साधना का मार्ग अपनाया। तभी शुभम से उनका रूपांतरण होकर वे महंत सत्यानंद बन गए।
महंत सत्यानंद माता-पिता की इकलौती संतान हैं। आमतौर पर घर का इकलौता बेटा संन्यास ले, तो परिवार विरोध करता है, लेकिन यहां कहानी बिल्कुल अलग रही। पिता के निधन के बाद भी मां ने कभी उन्हें रोकने-टोकने की कोशिश नहीं की। सत्यानंद मानते हैं कि संन्यास का मतलब है – पहले समाज को महत्व देना और अपने लिए सोचने से पहले दूसरों के लिए जीना।
काशी, गया और हरिद्वार से उज्जैन तक
2019 में दीक्षा लेने के बाद सत्यानंद ने खुद को पूरी तरह साधना और समाजसेवा के लिए समर्पित कर दिया। वे गया, हरिद्वार और वाराणसी में महंत पद संभालते हुए सेवाभाव में जुटे। अब उज्जैन के बड़ा उदासीन अखाड़े में रहकर युवाओं को योग, संस्कृत और अध्यात्म का ज्ञान दे रहे हैं।
महंत सत्यानंद की कहानी सिर्फ एक संत की यात्रा नहीं, बल्कि उन युवाओं के लिए भी प्रेरणा है जो करियर और पैसे के दबाव में खुद को खो देते हैं। लाखों का पैकेज छोड़कर उन्होंने जो राह चुनी है, वह बताती है कि सच्चा संतुलन केवल करियर से नहीं, बल्कि आत्मा और समाज की सेवा से आता है।